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चालीस साल पहले भारत का मैनचेस्टर कहलाने वाले उस दौर के बंबई का कपड़ा
उद्योग तबाह हो गया था.
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मुंबई मिल हड़ताल के बाद मज़दूरों के बच्चों का अंडरवर्ल्डकनेक्शन
..............................................................................................................................................मुंबई में सूती कपड़ों के कारखानों में मशीन तो अपनी जगह पर थीं, पर उनके चक्कों ने घूमना बंद कर दिया था. सायरन बजने बंद हो चुके थे और लगातार धुआं उगलने वाली चिमनियां भी थम गई थीं
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चालीस साल पहले भारत का मैनचेस्टर कहलाने वाले उस दौर के बंबई का कपड़ा
उद्योग तबाह हो गया था.
लंबे समय तक चली हड़ताल के बाद मुंबई की कई कपड़ा मिलें जब बंद हुईं तो
उसमें काम करने वाले लाखों मज़दूरों का काम छिन गया. नौकरी जाने के बाद
इन परिवारों में आर्थिक तंगी आते देर नहीं लगी.
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बेरोज़गारी और बेबसी में मज़दूर परिवार के कई युवाओं ने पैसा कमाने के
लिए मुंबई की अंधेरी अंडरवर्ल्ड की दुनिया में अपने क़दम रखे थे.
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वरिष्ठ पत्रकार अनुपमा जी बताती हैं, "जब मिलें बंद हो गईं तो मिल मज़दूरों के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई छूट
गई. लोगों के पास परिवार चलाने के लिए पैसे नहीं थे. इस वजह से कुछ
युवाओं ने अपराध की दुनिया में क़दम रखा था."
मुंबई मिल हड़ताल के बाद मज़दूरों के बच्चों का अंडरवर्ल्ड कनेक्शन |
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