अभिषेक एक दोस्त की शादी के लिए कपड़े खरीदने गए तो चौंक गए./Abhishek was shocked when he went to buy clothes for a friend's wedding.



शादी के रंग को भंग कर रही कपड़ों की ऊंची कीमतें, आम आदमी के लिए अब कपड़े खरीदना भी हुआ महंगा,कंज्यूमर्स के लिए इसका मतलब ये है कि उन्हें अगले साल से अपैरल पर 6-7 फीसदी और ज्यादा दाम चुकाने पड़ सकते हैं. बात इतनी ही नहीं है, ज्यादा मार सस्ते कपड़ों पर पड़ने वाली है.

आगरा के अभिषेक एक दोस्त की शादी के लिए कपड़े खरीदने गए तो चौंक गए. शर्ट-पैंट, बिना सिले या रेडीमेड-

गारमेंट्स के दाम जैसे पहुंच से बाहर दिख रहे थे. अब शादियों का सीजन हो तो खरीदारी की लिस्ट में सबसे

 पहले कपड़े ही तो आते हैं. अभिषेक का पूरा बजट ही गड़बड़ा गया है और उनकी हैरानी वाजिब है. ऐसे

 समझिए कि गुजरे 10-11 महीनों में गारमेंट्स की कीमतों में 20 फीसदी से ज्यादा इजाफा हुआ है. इतना ही

 नहीं, ये पूरा महामारी का दौर रहा है, डिमांड कम रही है. इसके बावजूद कपड़ों में महंगाई आई है और कंज्यूमर्स

 की जेब पर ये भारी पड़ रही हैअब जरा गहराई में जाकर देखते हैं कि आखिर गारमेंट सेक्टर में हो क्या रहा

 है? गुजरे शुक्रवार देश के सबसे बड़े गारमेंट हब तिरुपुर में करीब 6,000 यूनिट्स ने एक दिन के लिए कामकाज

 बंद कर दिया और इंडस्ट्री से जुड़े लोग भूख हड़ताल पर बैठ गए. इस एक दिन में ही यहां 120 करोड़ रुपये का

 लॉस हुआ. दरअसल, पूरी गारमेंट इंडस्ट्री ही धागों में आई महंगाई से परेशान है. ये लोग इसके एक्सपोर्ट पर

 बैन लगाने की मांग कर रहे हैं.


High prices of clothes disturbing the color of marriage, now it is expensive for common man

to buy clothes'For consumers, this means that they may have to pay 6-7 per cent more on apparel from next year. Not only this, more damage is going to happen on cheap clothes.
When Abhishek from Agra went to buy clothes for a friend's wedding, he was shocked. Shirt-pants, unstitched or ready-made-garments were looking out of reach. Now that it is the season of weddings, then clothes come first in the shopping list.Abhishek's entire budget has gone awry and his surprise is justified. In this way, in the last 10-11 months, the prices of garments have increased by more than 20 percent. Not only this, it has been a period of complete epidemic, demand has been less. Despite this, there has been inflation in clothes and it is taking a toll on the pockets of the consumers.Now let's go deeper and see what is happening in the garment sector. Last Friday, in Tirupur, the country's biggest garment hub, about 6,000 units stopped functioning for a day and industry people went on hunger strike. There was a loss of Rs 120 crore in this one day itself. Actually, the entire garment industry is troubled by the inflation in the threads. These people are demanding a ban on its export.

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