छत्तीसगढ़ में अलसी के रेशे से बनेगा लिनेन कपड़ा(कृषि विश्वविद्यालय)
इंदिरागांधी कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने विकसित की प्रजाति (Textiletimes)
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कृषि विज्ञानियों ने अलसी के रेशे से लिनेन कपड़ा बनाने का प्रयोग कुछ साल पहले ही कर लिया था। अब इसको वृहद स्तर पर लाने की तैयारी है। कृषि विज्ञानियों के अनुसार प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के आधार पर फसल चक्र परिवर्तन के लिए अलसी की सात ऐसी किस्में विकसित की हैं, जिन्हें सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ेगी।
यानी जमीन की नमी से ही भरपूर फसल तैयार हो जाएगी।
अब अधिक मात्रा में अलसी का उत्पादन होगा तो इसका इस्तेेमाल औद्योगिक रूप से करने की तैयारी चल रही है। इनमें इंदिरा अलसी-32, आरएलसी-133, आरएलसी-148, आरएलसी-141, एलसी-164, उतेरा अलसी-एक और उतेरा अलसी-दो प्रजातियां शामिल हैं। इन किस्मों को संकरित करके विकसित किया गया है।
ये किस्में ऐसे क्षेत्र के किसानों के लिए वरदान साबित होंगी, जहां वर्षा बेहद कम होती है। इन अलसी के रेशे का इस्तेमाल लिनेन कपड़ा बनाने के लिए भी किया जा सकता है। इसके अलावा इनके कई औषधीय गुण हैं। विश्वविद्यालय के आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग प्रमुख कृषि विज्ञानी डा. दीपक शर्मा ने बताया कि रायपुर में संचालित अखिल भारतीय समन्वित अलसी परियोजना के तहत ये किस्में विकसित की गई हैं, जो कम वर्षा आधारित पद्धति में अधिक उत्पादन देने में सक्षम हैं।